वाकया एयरपोर्ट का बात है यूं ही कोई 2015 की बीहड़ गर्मी की शायद जून ही था, घर से लेकर शहर में चारों ओर गर्मी का माहौल था। एक महीने पहले से मां तनाव में थी। कारण था उनका बड़ा बेटा रोज़गार के लिए बाहर सऊदी अरब जा रहा था , पराए देश , कैसा होगा , क्या होगा, कैसे लोग होंगें , अल्लाह जाने कफील वहां का कैसा होगा, कुछ ऐसे मन विचार भरे मां दिन रात परेशान घूम रही थी। पूरे घर में हल्ला था , बड़े बेटे से लेकर छोटे बेटे तक सब ख़रीद दारी करने की होड़ में लगे थे, क्योंकि 5 रोज बाद ईद भी थी, रमज़ान का वक़्त और बरसात का मौसम, सुबह से ही मौसम में नरमियत व मासूमियत थी। अम्मी एक तरफ किचन में काम भी किये जा रही थी, और बढ़ बढ़ाये जा रही थी , और बेटे को नसीहत दिए जा रही था। एक तरफ़ मेहमानों का तातां लग रहा था, दरवाजे पर गाड़ियों का आना जाना लगा था, और आँगन में कुर्सियों पर बैठ खाला खालू चर्चाएं कर रही थी। उधर बेटे के मन में भी समय ढलते उदासी जकड़ना शुरू कर दी थी, लेकिन जाना भी जरूरी थी। अगले दिन सुबह जल्दी सब उठ गए, और मां जो रात भर परेशान रही वो सो ही नही पाई, फिर मां ने सामना रखवाना शुरू कर दिया, बेटा ये भी रख ले वो
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हिंदुस्तान के नागरिक की कोई हैसियत नहीं बची है न किसान के रूप में न जवान युवा के रूप में।
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हिंदुस्तान के नागरिक की कोई हैसियत नहीं बची है न किसान के रूप में न जवान युवा के रूप में। दौर ये आ गया है कि जो किसान हमें अन पैदा करके देता है, और उस अन को खा के ही हम इंसान जीवित रहते है। वही किसान आज आत्महत्या करने पर आमादा है। उगाए गए अनाज के के सही दाम व सरकारी सुविधाएं समय पर न मिलने और पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ने से अब तक न जाने कितने किसान आत्महत्या कर चुके है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम घटने लगे है लेकिन फिर भी महाराष्ट्र के कई जिलों में तेल 88 रुपये प्रति लीटर पहुच गया है। चंडीगढ़ के समराला में 1000 ट्रैक्टर के साथ किसानों ने एसडीएम के दफ़्तर पर चाभी जमा कर प्रदर्शन किया, वही दिल्ली के कई गांव के किसानों ने रेंग कर प्रदर्शन किया। 15 मई के आस पास अब तक 5 किसानों ने आत्महत्या कर ली है भारत सरकार को इस मुद्दों पर जल्द से जल्द कोई फ़ैसला लेना चाहिए, वरना वो दिन दूर नहीं जब सिर्फ खाली खेत बचेंगें, किसान नहीं रह जाएंगे।