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हिंदुस्तान के नागरिक की कोई हैसियत नहीं बची है न किसान के रूप में न जवान युवा के रूप में।

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हिंदुस्तान के नागरिक की कोई हैसियत नहीं बची है न किसान के रूप में न जवान युवा के रूप में। दौर ये आ गया है कि जो किसान हमें अन पैदा करके देता है, और उस अन को खा के ही हम इंसान जीवित रहते है। वही किसान आज आत्महत्या करने पर आमादा है। उगाए गए अनाज के के सही दाम व सरकारी सुविधाएं समय पर न मिलने और पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ने से अब तक न जाने कितने किसान आत्महत्या कर चुके है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम घटने लगे है लेकिन फिर भी महाराष्ट्र के कई जिलों में तेल 88 रुपये प्रति लीटर पहुच गया है। चंडीगढ़ के समराला में 1000 ट्रैक्टर के साथ किसानों ने एसडीएम के दफ़्तर पर चाभी जमा कर प्रदर्शन किया,  वही दिल्ली के कई गांव के किसानों ने रेंग कर प्रदर्शन किया।                                   15 मई के आस पास अब तक 5 किसानों ने आत्महत्या कर ली है भारत सरकार को इस मुद्दों पर जल्द से जल्द कोई फ़ैसला लेना चाहिए, वरना वो दिन दूर नहीं जब सिर्फ खाली खेत बचेंगें, किसान नहीं रह जाएंगे।