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Showing posts from September, 2017

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इंसाफ मांगने पर मिली लाठियां।

#BHU_बवाल काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओ पर हुए लाठीचार्ज में पक्ष और विपक्ष के तमाम तरह के तर्क दिए जा रहे है। लेकिन जवाब अभी तक स्पष्ट नहीं मिल सका है कि शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन आखिर इस कदर कैसे हिंसक हो उठा कि पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी या गोलियां दागनी पड़ी? वह भी बिना महिला पुलिस के कहां की संवेदनशीलता है। लड़कियां तो अपनी सुरक्षा कि मांग कर रही थी लेकिन आधी रात में डंडे बरसाना कहाँ का न्याय है।लोकतंत्र में आंदोलन का डंडे की जोर पर दबाना न्यायसंगत नहीं।

इंसानियत-आकिल कि कलम से....।

अब तो इन हवाओं में बू-सी आने लगी है। लगता है कहीं इंसानियत जल रही है।

आकिल खान...कि कलम से।

मिली थी दो दिन बाद शांति के हमने आराम किया। जल उठा सारा शहर, सब कुछ देख के न बोले के हमने आराम किया। वक़्त नहीं अभी कुछ करने का, के हमने आराम किया।बिगड़ रही है मुल्क की मिल्कियत तो बिगड़ने दो, के हमने आराम किया। #साहब लफ्ज़ो का हेर फेर है, बस समझने की कोशिश करें। #आकिलखान