आकिल खान...कि कलम से।

मिली थी दो दिन बाद शांति के हमने आराम किया।
जल उठा सारा शहर, सब कुछ देख के न बोले के हमने आराम किया।
वक़्त नहीं अभी कुछ करने का, के हमने आराम किया।बिगड़ रही है मुल्क की मिल्कियत तो बिगड़ने दो, के हमने आराम किया।
#साहब लफ्ज़ो का हेर फेर है, बस समझने की कोशिश करें।
#आकिलखान

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