लखनऊ के नटपुरवा में होता है खुले आम देह्व्यपार, माँ बाप लगाते है अपने बहु बेटियों कि बोली

नही लेती सरकार कोई भी एक्शन खुले आम चलते है रेड लाइट एरिया | समाज के लोगो की आँखों पर पट्टी बंधी है गंदा होता देख रहे है अपने सामाज को ?
आज आप को लखनऊ से 70 किलोमीटर हरदोई रोड स्थित एक ऐसे गांव की कहानी बताने जा रहे है, जहां पिछले 400 साल से सेक्स का ऐसा खेल हो रहा है कि बाप अपनी बेटी को बेचने के लिए बोली लगता है तो भाई अपनी बहन के शरीर का मोलभाव करता है। जिस गांव की बात कर रहे है, उस गांव का नाम है नटपुरवा। यहां की आबादी लगाभग 5 हजार है। यहां पर रहने वाली लगभग हर स्त्री जिस्म बेचने का धन्धा करती है। इनके शरीर की बोलियां इन्ही के परिवार के लोग जैसे भाई, बाप, चाचा व सगे-संबंधी करते हैं।
ऐसा नहीं है कि ये गांव कही आउटर में हो। लोग इसके बारे में जानते न हो। इस गांव से ही लगे हुए तमाम गांव है, जहां के लोग सामान्य लोगों की तरह खेती किसानी या अन्य रोजगारों का प्रयोग करके अपनी जीविका निर्वाह करते हैं। इन आसपास गांव के लोग खुलेआम इस नटपुरवा गांव में जाना भी नहीं पसंद करते है और न इस गांव के लोगों से बातचीत करना। यहां पर लोग इनका अपने गांव में आना भी पसंद नहीं करते हैं।
इस गांव की इस धंधे में लिप्त होने के कारण की जानकारी की तो पता चला कि ये इन लोगों को पुस्तैनी धन्धा है, जो लगातार चलता चला आ रहा है। अब तो इन लोगों को इस धन्धे की आदत हो गई है। यहां के पुरूष अपने परिवार की महिलाओं को बेच के अपनी जीविका कमाते हैं, जो शायद उनके लिए सबसे आसान साधन है।
इस गांव के आस-पास के गांव के लोगों को इस गांव से जैसे घृणा सी है, लेकिन जब आप इन से इस गांव का रास्ता पूछे, तो वे रास्ता भले ही न बताएं, लेकिन मंद सी मुस्कान जरूर छोड़ते हैं। पेशे से सामाज सेवा का काम करने वाले इमरान ने बताया कि वे कई बार इस समाज की मानसिक्ता समझने के प्रयास से नटपुरवा गया व वहां का दृश्य देखा। मैं जहां तक समझ पाया हूं, ये वहां का कल्चर बन गया, जो एकदम से खत्म नहीं किया जा सकता है।
इस गांव मे सुधार लाने के लिए बने सामाजिक संगठन आशा परिवार से एक भूतपूर्व वेष्या चंद्रलेखा भी जुड़ी। वे भी गांव में बदलाव चाहती थीं। इस गांव में बच्चों के पढ़ने के लिए प्राथमिक स्कूल भी है, जो चंद्रलेखा की ही देन है। एक बार उनके बारे में एक राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका में छपा। जिलाधिकारी ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया। जब जिलाधिकारी ने उनसे पूछा कि वे अपने गांव के लिए क्या चाहती हैं तो उन्होंने एक प्राथमिक विद्यालय की मांग की। इस तरह से गांव में एक प्राथमिक विद्यालय बन गया। यह इस गाँव की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

Comments

  1. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और इसके साथ साथ लोगों को भी वंहा जाकर जागरूकता दिखानी चाहिए उन सबको समझाना चाहिए कि ये गलत रास्ता छोड़ दें और एक नई जिंदगी की शरुआत करे।
    धन्यवाद 🙏 🙏

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  2. Sabse pahle whan ki girls ko shiksha se jode.
    Un girls se esha kam karwane wale ko or karne wale ko or usse judge her vyakti ko 5 saal sja or 1lac jurmana rakh de.
    Jaldi sudhar hoga

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