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महज 134 रुपए में बेचती है भारत ये लड़कियां अपना जिस्म

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दुनिया में कई अजीब रीती रिवाज आज भी हैं लड़कियों के देह व्यपार का धंधा कई देशों में क़ानूनी मान्यता पाने के बाद बड़ी आसानी से फल फुल रहा है। लेकिन कई देशो में आज भी इस पर कानून द्वारा मान्यता नही मिला है। लेकिन फिर भी देह व्यपार का धंधा अमूमन हर जगह चलता है। इन्ही देशों में एक नाम है भारत का। जहां पर लड़कियां अपने देह की नीलामी महज 134 रूपये में कर देती हैं। आप भी जानिए कहां होता है ऐसा गंदा काम। सोनागाछी पुरे एशिया में यह रेडलाइट जगह के नाम से जाना जाता है। यहाँ साल में सैकड़ो विदेशी सैलानी घूमने आते है क्योकि इस एशिया का सबसे बड़ा देह व्यपार का गढ़ माना जाता है। जहां करीब 11 हजार वेश्याएं देह व्यापार में लिप्त हैं. यह पूरा इलाका एक झुग्गी में तब्दील है यहाँ पर 12 हजार लड़कियां सेक्स व्यापार में शामिल हैं। यहां इन्हें मर्दों से संबंध बनाने पर बदले उन्हे 2 डॉलर यानि 134 रुपए मिलते हैं।  कोलकाता का सोनागाछी एक ऐसी जगह जो सिर्फ देह व्यपार के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है । यहाँ साल में सैकड़ो विदेशी सैलानी घूमने आते है क्योकि इस एशिया का सबसे बड़ा  देह व्यपार का गढ़ माना जाता है । सोनागाछी

लखनऊ के नटपुरवा में होता है खुले आम देह्व्यपार, माँ बाप लगाते है अपने बहु बेटियों कि बोली

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नही लेती सरकार कोई भी एक्शन खुले आम चलते है रेड लाइट एरिया | समाज के लोगो की आँखों पर पट्टी बंधी है गंदा होता देख रहे है अपने सामाज को ? आज आप को लखनऊ से 70 किलोमीटर हरदोई रोड स्थित एक ऐसे गांव की कहानी बताने जा रहे है, जहां पिछले 400 साल से सेक्स का ऐसा खेल हो रहा है कि बाप अपनी बेटी को बेचने के लिए बोली लगता है तो भाई अपनी बहन के शरीर का मोलभाव करता है। जिस गांव की बात कर रहे है, उस गांव का नाम है नटपुरवा। यहां की आबादी लगाभग 5 हजार है। यहां पर रहने वाली लगभग हर स्त्री जिस्म बेचने का धन्धा करती है। इनके शरीर की बोलियां इन्ही के परिवार के लोग जैसे भाई, बाप, चाचा व सगे-संबंधी करते हैं। ऐसा नहीं है कि ये गांव कही आउटर में हो। लोग इसके बारे में जानते न हो। इस गांव से ही लगे हुए तमाम गांव है, जहां के लोग सामान्य लोगों की तरह खेती किसानी या अन्य रोजगारों का प्रयोग करके अपनी जीविका निर्वाह करते हैं। इन आसपास गांव के लोग खुलेआम इस नटपुरवा गांव में जाना भी नहीं पसंद करते है और न इस गांव के लोगों से बातचीत करना। यहां पर लोग इनका अपने गांव में आना भी पसंद नहीं करते हैं। इस गांव की इस

यूपी में शुरू हुई वोटो पर हक जमाने की होड़ मुस्लिम नेता दे रहे चुनौती

 उत्तर प्रदेश का चुनावी माहोल गरमाता जा रहा है इधर बीएसपी ने इस बार ज्यादा तर अपने मुस्लिम कैंडिडेट रखने का फैसला लिया है ।तो सपा ने भी ऍमएलसी चुनाव को लेकर सभाए शुरू कर दी है और इन दोनों पार्टियों के बीच इस बार वर्चस्व की लड़ाई आकी जा रही है। ऐसे में क्या मुस्लिम समुदाय ने किसी भी चुनाव में अपना समर्थन देने के अधिकार को चुनने की जिम्मेदारी किसी एक शख्स को दे रखी है? भले ही ऐसा होना संभावित न लगे, लेकिन कम से कम उत्तर प्रदेश में तो ऐसे कई चेहरे उभरने लगे हैं जो प्रदेश के 2017 के चुनाव में अपने समुदाय का एकमुश्त समर्थन देने का दावा करते हुए बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं। चुनाव पूर्व के जाने-पहचाने घटनाक्रम के अंतर्गत सभी राजनीतिक दलों में पहले तो दलित वर्ग के प्रति प्रतिबद्धता दिखने की होड़ लगी और अब मुस्लिम समुदाय का एक वोट बैंक के रूप में उपयोग करने की संभावनाएं तलाशने का क्रम शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश में चूंकि यह वर्ग पूरे प्रदेश में कई जगह चुनावी नतीजों को प्रभावित करता है इसलिए केवल राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि समुदाय के धार्मिक नेता भी अपने महत्व को दर्शाने में जुट गए हैं। प्रदेश की

बदन पर 1 किलो का गहना और इन्हे चाहिए आरक्षण

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आजकल नेताओं का बात-बात पर अनशन पर बैठ जाना एक रिवाज बन गया है। आए दिन कोई न कोई मांगों को लेकर किसी भी संघ या पार्टी के नेता अनशन पर बैठ जाते हैं , लेकिन महाराष्ट्र के नाशिक में एक दिन के अनशन पर बैठे शिवसेना के एक पदाधिकारी ने सबको हैरान कर के रख दिया। दरअसल , मराठा संघ ने नाशिक में एक दिन के लिए जिला कलेक्ट्रेट के बाहर बुधवार को आरक्षण की मांग को लेकर अनशन किया। इस अनशन में सबकी नजर एक शख्स पर थी। उस शख्स ने एक किलो सोने के आभूषण पहन रखे थे। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि मुंबई के भांडुप से शिवसेना के पदाधिकारी अनूप स्वरूप थे। उनके नेतृत्व मे बुधवार को मराठा संघ ने नासिक कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर एक दिवसीय अनशन किया गया। जिसमें कि इस अनशन में एक किलो सोने के आभूषण पहने शिवसेना नेता आकर्षण का केंद्र बने रहे।

साथ हसने से मधुर होते है रिश्ते कहते है हसना सेहत के लिए फायदेमंद होता है मगर लोगो का ऐसा मानना है की जो जयदा हसता है वो बाद मैं रोता भी है.जिंदगी मैं हसी का आना और दुःख का आना वो तो समयानुसार होता है हर व्याक्ति को कामयाबी पाने के लिए कड़ी परिश्रम करनी पड़ती है वैसे ही खुशी और जिंदगी मैं हँसने के लिए भी पलो को संजो के रखना पड़ता है

साथ हसने से मधुर होते है रिश्ते  कहते है हसना सेहत के लिए फायदेमंद होता है मगर लोगो का ऐसा मानना है की जो जयदा हसता है वो बाद मैं रोता भी है.जिंदगी मैं हसी का आना और दुःख का आना वो तो समयानुसार होता है हर व्याक्ति को कामयाबी पाने के लिए कड़ी परिश्रम करनी पड़ती है वैसे ही खुशी और जिंदगी मैं हँसने के लिए भी पलो को संजो के रखना पड़ता है